प्रेम जैसा नाम था वैसे ही काम भी ....!!! जब से किशोरावस्था में आया , खुद को प्रेम के जाल में ही पाया !!! बेचारे को झट से घनघोर प्यार हो जाता था !!! धीरे धीरे कॉलेज में आया तो प्यार के अंकुर फूटने लगे और फूल बनने को आतुर होने लगे !!!
कोई लड़की थोड़ा बतिया ले या हँसी तो समझो प्रेम के नजरों में वो फंसी !!! हंस गयी तो फंस गई के फार्मूले पे चलता था !!! फिर लड़की को धड़ाधड़ गिफ्ट की बौछारें कर देता था ...कभी सूट, कभी मोबाइल, कभी डाटा रिचार्ज , कभी सेंडिल , कभी डिनर विद केंडिल !!! उधार लाकर , दो रोटी कम खाकर , लड़कियों पे ही पैसे फूंकता रहा !!!
लड़कियाँ भी खाते पीते खिसकती रही ... प्रेम की आंखे सच्ची मोहब्त के लिए सिसकती रही !!! फिर कॉलेज से निकला तो पिता बड़े बाबू थे ही ... प्रेम ने चूड़ी, फुंदड़ी, लेडीज आइटम की ही दुकान खोलने की जिद की और दुकान खोल भी ली ...!! प्यार का कीड़ा , प्रेम के दिमाग मे कुलबुलाता रहा ... बेचारा व्यसनी भी न था ... न दिलबाग, न तानसेन ,न गोल्डन , न बीड़ी सिगरेट , ना ही दराम का शौकीन था ....बस मोहब्त का खतरनाक व्यसन था !!!
दुकान खोली तो लड़कियाँ भी खूब आती रही... कई लड़कियां उधार पगाल भी ले जाती रही ... कईयों को खुद ही गिफ्ट पे गिफ्ट देता रहा ...और धीरे धीरे दुकानदारी में बनियों का उधार चढ़ गया !!! बनिया आते तो दूर से ही बनियों की गंध सूंघ लेता और शटर डाउन करके छुप जाता , और खुद को बीमार पिताजी के साथ हूँ बताता !!!! फिर उद्योग विभाग से लून लेकर उधार पगाल चुकाया !!! और खूब पैसा कमाने का भी मन बनाया !!!! उन्ही दिनों दुकान के सामने ही एक लड़की ने ब्यूटी पार्लर की दुकान का काउंटर लगाया !!!! अब प्रेम फिर से ब्यूटी पार्लर वाली लड़की के सम्पर्क में आया !!! प्रेम के मोहब्त के चक्कर मे बाल भी उड़ गए , पर प्रेम का चस्का ऐसा था कि ... पार्लर वाली ने भी बातों ही बातों में प्रेम पर खूब चुना लगाया !!!!
प्रेम की किस्मत अच्छी थी कि ... अचानक पिताजी भी पितृ प्रसाद देकर दुनिया से रुखसत हो गए !!!! बाद में प्रेम की शादी भी हो गयी ,, बच्चे भी दे दिए पर प्रेम का भूत न उतरा !!! आधी तनखा तो प्रेम की प्यार मोहब्त में ही लूट जाती है !!!
एक दिन प्रेम से पूछा कि यार ...तुझे कैसी मोहब्त चाहिए भाई ...अब तो बस कर ... बोला ...जैसी मोहब्त हीरो हीरोइनो की होती है !!! अब भला फिल्मो जैसा प्यार भी कभी रियल लाइफ में होता है क्या ??? रियल लाइफ में पति पत्नी भी एक दूसरे की तरफ पीठ फरका के सो जाएं तो उतना भी बहुत है !!!!
रियल लाइफ तो जिम्दारियों में ही कट जाती है !!! बिना झगड़ा फसाद के शांति से दिन कट जाय बहुत है !!! तीन घण्टे की पिक्चर में 20 मिंट ही प्रेम का सीन होता है ... वो भी काल्पनिक प्रेम !!! कई लोग फिल्मी प्रेम पाने के चक्कर मे प्रेम जैसे ही मोहब्त के पीछे भागते हैं ...उन्हें न कभी फिल्मी मोहब्त मिल पाती है न रियल मोहब्त ...!!!!!
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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