सुदूर पहाड़ी गाँव रजवाड़ी में एक दर्जन देवताओं के स्थान थे !!! सभी देवताओं का अपना अपना वर्चस्व था !!! कोई शांत देवत्ता था तो कोई बहुत ही विकराल !!! किसी को दूध पसन्द था तो किसी को खून !!! गाँव वाले कई पीढ़ियों से उनको पूजते आ रहे थे !!! किसी भी परिवार पर यदि कोई भी संकट आता तो वो इन देवताओ के थान में जाकर अपनी समस्या रखता और कुछ ही समय उपरांत उसकी समस्याओं का निवारण हो जाता !!! गाँव वाले हर त्योहार के अवसर पर देवताओ को जरूर पूजते थे !!!
इधर कुछ सालों से गाँव की आबादी कम होती जा रही थी !!! अधिकांश परिवार बेहतर जिंदगी की ओर चले गए थे !!! गाँव मे कुछ गरीब परिवार रह गए थे !!! जो लोग गाँव से बाहर सेटल हो गए थे ...धीरे धीरे उनका आना जाना ना के बराबर हो गया था !!! इसी बीच गाँव मे एक अंग्रेजो का दल आया और काफी दिनों उन्ही लोगो के साथ रहा .....!!! उनमे से कई दलित गरीब परिवार थे जो आजतक तमाम सरकारी योजनाओं के बाबजूद भी अपनी गरीबी से नही उभर पाए...हालांकि मोबाइल और टीवी सभी के घरों में था !!! अंग्रेजो ने उनको प्रभु यीशु के बारे में बताया कि ...हमारे प्रभु यीशु बहुत ही शक्तिशाली हैं ...आज उन्ही की बदौलत हम दुनियाँ में सबसे धनी ,बुद्धिमान और सम्पन्न हैं !!! तुम्हारे लोग तो तुम्हे ही तुम्हारे देवताओ के स्थान में जाने से रोकते हैं !!! जबकि हमारे यीशु का द्वार हर इन्शान के लिए खुला रहता है !!! एक आदमी को नाम पूछा तो उसने डबरु बताया....अंग्रेज हंसने लगे ...बोले ये कोई नाम हुआ ??? आज से तुम्हारा नाम...डबरु नही डेविड होगा !!!और फिर उसको गले लगाकर चूमा ....आजतक उसको किसी ने भी इतनी प्यारी भुक्की नही दी थी...वो गदगद हो गया !!! फिर अंग्रेजो ने उन सबको मकान बनवाने में मदद , बच्चो की एजुकेशन में मदद आदि का वादा किया ...और कुछ ही दिनों में उनका धर्म परिवर्तन हो गया !!!
अब कुछ समय बाद उन्होंने वहाँ पर एक सेंट ऑक्सफोर्ड स्कूल खोल दिया ...गाँव के बीच मे ही एक भव्य चर्च बना दिया ....एक छोटा सा अस्पताल भी खोल दिया !!! डेविड को चर्च का पादरी बना दिया !!!
अन्य पहाड़ो के देवताओ की त्रिशूले जंग खा रही थी...मकड़ियों ने चारों तरफ जाले बुन लिए थे !!! और चर्च का क्रॉस दूर से ही चमक दे रहा था !!! गांव के गरीबो की जिंदगी बदल गयी थी ...बच्चे अंग्रेजी स्कूल में फ्री एजुकेशन ले रहे थे !!! आस पड़ोस के गांवो के बच्चो से स्कूल खचाखच भरा हुआ था ...स्कूल ने अपना होस्टल भी बना लिया था जिससे सैकड़ो बच्चे वहाँ रहने लगे ...बचपन से ही बच्चे प्रभु यीशु की महत्ता से रूबरू होने लगे ...सभी ने गले मे क्रॉस टांक दिए थे !!!
जहाँ अन्य देवताओं के थान में दीया बत्ती करने वाला भी कोई न था...वहीं गाँव के बीचों बीच चर्च रात में अपनी जगमगाती रोशनी से तारो को भी टक्कर दे रहा था !!!! डबरु अब डेविड बनकर खूब अंग्रेजी झाड़ता था ...उसने अपने सारे बच्चो के नाम भी चार्ल्स, मैरी और टॉम रख दिया था !!! उधर गाँव छोड़ चुके लोगों की अगली पीढियां भी सेंट फर्राटा स्कूलों में प्रभु यीशु की प्रार्थना से ही दिन की शुरुवात कर रहे थे ...!!! जब कभी गाँव आते तो सबसे पहले चर्च में ही मथ्था टेकने जाते थे !!! डेविड ने चर्च को इस हिसाब से डिजाइन करवा दिया था कि आस पड़ोस की बुजुर्ग महिलाये भी इस भव्य चर्च को देखने आती तो आदतानुसार एक लोटा पानी जरूर चढाती थी...!! इसके लिए डेविड ने चर्च परिसर में ही यीशु की मूर्ति जलाभिषेक के लिए बनवा दी थी ...जिसके इर्द गिर्द घण्टियाँ और त्रिशूल भी लगा दिए थे !! सावन के महीने भी चर्च में खूब भीड़ लगी रहती !! सारे भजन भी प्रभु यीशु के नाम से बन चुके थे !!!!
डेविड चर्च का पण्डित बनकर पहाड़ो के इस नए देवत्ता को एक नए धर्म की तरफ ले जा रहा था !!!
जारी---नवल खाली
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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