धरमु आज अपनी मनरेगा के काम की ध्याडी लेने ,प्रधानजी के साथ नजदीकी कस्बे में जाने को रेडी है !!! यूँ तो धरमु एम.ए. व डिप्लोमाधारी है , पर हमेशा यही बताता है कि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्वाइंट , प्वाइंट नम्बर से अटक गया था !!! फिर आरक्षण को दोषी मानते हुए नेताओं को कोसता है !!!
धरमु के कई साथी जोकि आर्मी में भर्ती हो चुके थे , उनकी जल्दी जल्दी शादियाँ भी हो गयी थी !!! उनको अपनी ब्वारियों के साथ खिलखिलाते हुय देखते ही , धरमु का मन भी शादी करने को आतुर हो उठता !! पर बेरोजगार था ,कौन अपनी लड़की देता ?? फिर कुछ दिन दिल्ली कम्पनी में गया ,और जल्दी ही शादी भी हो गयी !!! फिर कम्पनी बन्द होने का बहाना बनाकर , घर में ही रहने लगा , फिर बच्चे हो गए तो गाँव मे ही मनरेगा ,व सरकारी निधियों में मन लगाने लगा !!!
प्रधान जी व धरमु अब बैंक के बहार ,अपने काम की ध्याडी का फिफ्टी फिफ्टी कर रहे हैं !! क्योंकि धरमु ने काम किया 15 दिन और प्रधान जी ने दिखाया 30 दिन !!!
उत्तराखंड के पहाड़ी कस्बों में अक्सर पौने नौ बजे सुबह से ही ठेका खुलने के इंतज़ार में कई दिगज्ज बैठे होते हैं , कुछ तोड़ पैग पीने को लालायित हैं तो कुछ दिन की शुरुआत करने को !!!
प्रधान जी ने भी फटाफट सोलमेट का एक हाफ ले लिया और नजदीकी ढाबे में एक फुल्ल प्लेट मुर्गे का ऑर्डर दे दिया !!! फिर सूरज चढ़ने के साथ साथ, ढाबे में भी सुरूर चढ़ने लगा है , बीड़ी ,सिगरेट का धुँवा आत्माओ सी आकृति बनाते हुए उड़ रहा है !!! अब कभी खत्म न होने वाली बातों का दौर शुरू हो गया है ....कभी मोदी की बातें, कभी फलाने की ब्वारी की बातें, कभी अलाने की बेटी की बातें....और हर बात पर शुद्ध पहाड़ी गालियों के तत्सम ,तत्भव , सर्ग, उपसर्ग का अल्पविराम !!!!
कुछ ही देर बाद धरमु और प्रधान जी फुल्ल सुरूर में आ चुके हैं ...और खासम खास भाई बन गए हैं !!! प्रधानजी ने धरमु को स्वरोजगार योजना में एक लाख का लोन दिलाने का सपना भी दिखा दिया है ...और इसी बहाने धरमु से एक हाफ और मंगा लिया है !!!!
बैठे बैठे कब शाम ढल गयी ?? पता ही न चल पाया !!!! दोनो लड़खड़ाते हुए घर की टाटा सूमो में बैठ चुके हैं !!! गाँव आते ही किसी बात पर दोनों उलझने लगे हैं !!! और नौबत मारपीट तक आ गयी !!! फिर दोनों की बीबियाँ उनको अपने अपने घरों की तरफ ले जा रही हैं !!! फिर दोनों अपने अपने घरों की चौक से एक दूसरे को गालियाँ बक रहे हैं !!! दोनो के बच्चे घरों के अंदर एन. सी.आर.टी. की नई किताबों पर जिल्द चढ़ा रहे हैं !!! और उधर मंत्री और अधिकारी उत्तराखंड में कम राजस्व आने से शराब की नई दुकाने खोलने पर विचार बना रहे हैं !!! और आबाकरी जैसे दूधारू विभाग को गाँव गाँव पहुंचाने की नई योजना बना रहे हैं !!!!!
सादर-- नवल खाली
source:- https://www.facebook.com/bhartukibvaari/
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