परीक्षोपयोगी लोकोक्तियाँ कहावतें तथा पहेलियाँ

 परीक्षोपयोगी लोकोक्तियाँ कहावतें तथा पहेलियाँ 
    लोकोक्तियाँ जन साहित्य के महत्वपूर्ण अंग हैं. लोक जीवन की वैज्ञानिक व्याख्या के लिए इनका अध्ययन वहुत ही आवश्यक है. लॉर्ड रसेल के अनुसार लोकोक्ति एक व्यक्ति की विद्ग्धता और अनेक का ज्ञान है.

    डॉ. पिताम्बर दत्त वड़श्वाल का कथन है कि लोकोक्ति मात्र उक्ति नहीं है, बल्कि लोक की उक्ति है इसीलिए इसे
लोकोक्ति कहते हैं. लोक का कोई भी कथन चाहे वह मुहावरे के रूप में हो चाहे पहेली के रूप में हो जब तक उसे लोक छाप नहीं मिलती और लोग प्रायः उसे नहीं बोलते तब तक वह लोकोक्ति का वास्तविक रूप नहीं माना जा सकता.
     वास्तव में लोकोक्ति एक ऐसा कथन है जो किसी के द्वारा कहे जाने पर तथा जनता जनार्दन की कसौटी पर खरा उतरने पर लोकोक्ति का रूप धारण कर लेती है और भाषा की अमूल्य निधि बन जाती है.

    लोकोक्ति में जीवन का सत्य बड़ी सुन्दरता से प्रकट होता है. वास्तव में लोकोक्ति में गागर में सागर भरने की
प्रवृत्ति काम करती है.डॉ. श्यामसुन्दर दास के मतानुसार लोकोक्ति में लाघवत्व, अनुभूति और निरीक्षण, सरल भाषा, प्रभावोत्पादक शैली, लोकरंजनता आदि तत्व विद्यमान रहते हैं. 

    गढ़वाली भाषा में लोकोक्तियां (परवाणा) बहुत बड़ी संख्या में मिलता है जिनसे गढ़वाली भाषा को वास्तविक स्वरूप मिलता है

गढ़वाली में परवाणा दो प्रकार की मिलती है-
1. तुकान्त, 
2. अतुकान्त.

1. गढ़बाली-उम्र छाई सी साठ अकल मति गे नाट 
हिन्दी अनुवाद-बुढ़ापे में बुद्धि का सटिया जाना

2. गढ़बाली-कभि तैला धाम कभि सीला धाम
हिन्दी अनुवाद-चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात

3. गढ़वाली-कपड़ा न लक्ता चला कलकता
हिन्दी अनुवाद-विना तैयारी के कार्य आरम्भ करना

4. गढ़वाली-जब तक सास तब तक आस
हिन्दी अनुवाद-जब तक सास तब तक आस

5. गढ़वाली-खाणि न पीणि, छुहुँ, छुँ ठीणि
हिन्दी अनुवाद-खाना न पीना ठंड की ठंड

6. गढ़वाली-छुयाल ब्यारी छुयाल भुलि परगड़ि पटलि, मल्सा फुलि
हिन्दी अनुवाद-बातूनी बहू बातूनी बहन बातों में लगकर  समय खोना 

7 . गढ़वाली-जब विगड़िये काम, तब आये वैसाखु कु नाम
हिन्दी अनुवाद-जब दिगड़ गया काम, तव आया वैसाख का नाम

৪. गढ़बाली-जख देखि तवा परात उख विताई सरि रात
हिन्दी अनुवाद-जहाँ साज सामान देखा वहीं सारी रात वितायी

9. गढ़बाली-जैकू भरो, वो क्या न करो
हिन्दी अनुबाद -मरता क्या न करता रुपए

10. गढ़वाली-टका न पैसा, गीं गौं भैंसा
हिन्दी अनुवाद-रुपए न पैसे गाँव गाँव भैंसें

11. गढ़वाली-रॉँदु का पाँजा गी पड़याँ वाँजा
हिन्दी अनुवाद-स्त्रियों के कारण गाँव हो गए वरवाड़

12. गढ़वाली-पीना पकदि रौ कवा ककडादि रौ
हिन्दी अनुवाद-खाना पीना पकता रहा कौवा वोलता रहा

13. गढ़बाली-धेला न पल्ला ही व्यौ कल्ला
हिन्दी अनुवाद-पाई न पैसे करेंगे दो व्याह

14. गढ़वाली-ध्यू न ज्यू खा मेरो ज्यू
हिन्दी अनुवाद-वेकार सिर खाना

15. गढ़वाली-जनाने की छुई झंगोरा की विई
हिन्दी अनुवाद-स्त्रियों की बातें झंगोरा के बीज की तरह व्यर्थ हैं.

16. गढ़वाली-जब तक ल्वै तव तक सव क्वै
हिन्दी अनुवाद-जब तक लहू तव तक सब कोई

17. गढ़वाली-अफू चलदा रीता हेरु पड़ौदा गीता
हिन्दी अनुवाद- पर उपदेश कुशल बहुतेरे

18. गढ़वाली-एकन रत्यै गीं सबु पड्या नौं
हिन्दी अनुवाद-एक मछली सारा तालाव गन्दा कर देती है

19, गढ़वाली-तिमला तिमला खत्यी नैंगि दिरत्याँ
हिन्दी अनुवाद-तिमले के फल गिर गए स्त्री नंगी की नंगी दिखाई दी.
(एक स्त्री धोती ऊपर कर पेड़ पर चढ़कर तिमले निकाल रही थी. तभी कोई पुरुष उधर आया,  धोती ठीक  करने में स्त्री के तिमले के फल नीचे गिर गए और उस आदमी ने स्त्री की नंगी टांग भी देख ली)

20, गढ़वाली-विधना न मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोड़ि
हिन्दी अनुवाद-राम ने मिलाई जोड़ी एक अन्धा एक कीढ़ी 

21. गढ़वाली-तुभि राणि मैं भी राणि कु कुटुली चोणा दाणि
हिन्दी अनुवाद-तू भी रानी मैं भी रानी कौन कूटेगा चावल की दानी ?

22. गढ़वाली-भोलि भोलि दिन गया सीलू
हिन्दी अनुवाद-कल-कल करते सोलह दिन वीत गए

23. गढ़बाली-परदेसी मू रोया ना अपणि पत खोया न
हिन्दी अनुवाद-परदेशी के सामने रोना नहीं अपनी मर्यादा खोना नहीं

24. गढ़वाली-पड़ायो गुणायो जाट सोल वेणि आट
हिन्दी अनुवाद-पढ़ाया लिखाया जाट सोलह दूना आठ

25. गढ़वाली-मामा भाणजा डेरा मू रौला सामंल थैलि अपणि खौला
हिन्दी अनुवाद-मामा भान्जा होंगे घर जाकर अपना- अपना राशन खाएंगे

26. गढ़बाली-बखरो कु भिज्यु नि जौ वाघ भि भुखों नि रौ
हिन्दी अनुवाद-बकरी के प्राण न जाएँ, वाघ भी भूखा न रहे, (साँप भी मर जाए, लाठी भी न टूटे)

27. गढ़वाली-जेकु शर्म वेकु फुट्यूँ कर्म
हिन्दी अनुवाद-जिसने की शर्म उसके फूटे कर्म

28. गढ़वाली-चार गौकू सयाणो, अठार गौ कू रौ, मेरा काम नि आओत ऐसि तैसी या जो
हिन्दी अनुवाद-चार गाँव का मुखिया, अट्ठारह गाँव का स्वामी, मेरे काम न आया तो ऐसी तैसी में जाय

29. गढ़वाली-जनु देश, तनि भैस
हिन्दी अनुवाद-जैसा देश वैसा भेष

30. गढ़वाली-जनि मयेड़ तनि जयेड़
हिन्दी अनुवाद-जैसी माँ वैसी बेटी

31. गढ़वाली-नख जोशी चार तख दिन न बार
हिन्दी अनुवाद-जहाँ ज्योतिषी चार वहाँ दिन वार कुछ नहीं

32, गढ़वाली-जु नि धोलो अपणो मुख, उकौ देलो हैका सुख
हिन्दी अनुवाद-जो अपना मुँह नहीं धोएगा यो दूसरे को क्या सुख देगा.

33. गढ़वाली-सोण मरि सासु भादो ऐया आँसु
हिन्दी अनुवाद-सावन में मरी सास भादों में आए आँसू

34. गढ़वाली-सुणणि सबकी करणी मनकी
हिन्दी अनुवाद-सुननी सबकी करनी अपने मन की

35. गढ़वाली सौत और भीत
हिन्दी अनुवाद सीत मौत की तरह है।

36. गढ़वाली-ध्ये ध्ये गोरा, घुस-पुस सोरा
हिन्दी अनुवाद-धो धोकर गोरा नहीं वनता

37. गढ़वाली-मर्दों खाणो जना न्यू न्हाणी
हिन्दी अनुवाद-म्दों का खाना और औरत का नहाना

38. गढ़वाली-वालाकि न मरै,ब्वे ज्वान की नि मरो ज्वै
हिन्दी अनुवाद-वच्चे की माँ नहीं मरनी चाहिए और जवान पुरुष की औरत नहीं मरनी चाहिए

39, गढवाली वल्द क्या जाण रजै को राँड क्या जाण कजै को
हिन्दी अनुवाद-वैल राजा को क्या जाने और विधवा स्त्री पुरुष को क्या जाने

40. गढ़वाली-मुखड़ि देखि टुकड़ि
हिन्दी अनुवाद-मुँह देखकर स्वागत

41. गढ़वाली -दौड़ी चली त चढ़ी रॉड मठ्ड चलि त सढ़ी रॉड
हिन्दी अनुवाद-दौड़ी तो विगड़ी औरत धीरे चली तो आलसी औरत

42. गढ़वाली-परायो पूत छोड़ कुमूत
हिन्दी अनुवाद-दूसरे का पुत्र घोड़े के मूत्र की तरह है।

43. गढ़वाली-मन घोड़ा मा, कर्म लोड़ा मा
हिन्दी अनुवाद मन घोड़े में काम पत्थर में

44. गढ़वाली-फाँट न फट्टा नौ क्वे पदान, डालि न दोटि नी क्वे वगान

हिन्दी अनुवाद-खेती न बारी नाम का ही मुखिया, पेड़ ने पीथे नाम का वरगीचा

45. गढ़वाली-हँस उड़ी गैन, कागा रै गैन
हिन्दी अनुवाद-हस उड़ गए, कौए रह गए

46. गढ़वाली -विडि खाणो जोगि हवै पैला वासा भूखो रै
हिन्दी अनुवाद-ज्यादा खाने का साधु बना पहले ही दिन भूखा रहा

47. गढ़वाली-टका छनत टकटका नितर झकझका
हिन्दी अनुवाद-पैसा है तो ठीक नहीं तो वेकार परेशान

48, गढ़वाली-जैं का पेट लगि आग उ क्या खुजालो साग
हिन्दी अनुवाद-जिसको भूख लगी होगी, वह सब्जी क्या दंँढेगा.

अतुकान्त परवाणा
1. गढ़वाली-जनि नेत तनि वरकत
हिन्दी अनुवाद-जैसी भावना वैसी सिद्धि

2. गढ़वाली-नाक कटी हात या धूर्य
हिन्दी अनुवाद-वेशर्म

3. गढ़वाली -दाना की वोल्यूँ ओलों को स्वाद
हिन्दी अनुवाद -वूढ़े की वात और आँवले का स्वाद वाद में पता चलता है

4. गढ़वाली-मा मौस्याण वावू कठ वाबू
हिन्दी अनुवाद-माँ सौतेली वाप पराया

5. गढ़वाली-कभि वड़ कड़झड़ि, कभि वड्या गढ़गढ़ो
हिन्दी अनुवाद-कभी बुढ़िया नाराज, कभी बूढ़ा नाराज

6. गढ़वाली-पुँडु पुँडु जलिगे, किरडौण करव आये
िन्दी अनुवाद-घुटने-घुटने जल गए, परन्तु नहीं चला कि जलन आयी कहाँ से

7. गढ़बाली-दूधो उमाल, ज्यनि कुल्वै
हिन्दी अनुवाद-दूध का उबाल जवानी का लहू

8. गढ़बाली-जाण न पहाण, फट अंम्वाल
हिन्दी अनुवाद-जान न पहचान मैं तेरा मेहमान

9. गढ़वाली-कितनी कू नाग, बिरलो वाघ
हिन्दी अनुवाद-केंचुए का नाग और विल्ली का बाघ

10. गढ़वाली-एकि हातन रोटिन न पकदि
हिन्दी अनुवाद-एक हाथ से ताली नहीं बजती

11, गढ़वाली -तेल थोड़ा, चिवड़ाट मौत
हिन्दी अनुवाद तेल कम पर शुद्ध बहुत (अधजल गगरी छलकत जाय)

12. गढ़वाली-माँ जो पर मरयाद न जो
हिन्दी अनुबाद माँ जाय पर मर्यादा न जाय

13, गढ़वाली -कल को नौ काल
हिन्दी अनुवाद कल का नाम काल

14. गढ़वाली इतनी कुखड़ी अर कतनी फड़फड़ाहट
हिन्दी अनुवाद-छोटी मुर्गी इतना शोर

15, गढ़वाली-न तीन मा न तेरह मा
हिन्दी अनुवाद-न तीन में न तेरह में




16. गड़वाली-पीणा पूछि पकोड़ी
हिन्दी अनुवाद-मेहमान पूछ कर खाना वनाना

17. गढ़वाली-लोहा का लोहा राल सोरो कृ सोरो
हिन्दी अनुवाद- लोहे के लिए लोहा सम्बन्धी के लिए सम्बन्धी

18. गढ़वाली-भैंसा का गिच्चा फ्यूँली कु फूल
हिन्दी अनुवाद-ऊँट के मुँह में जीरा भैंस के मुँह फ्यूँली

19. गड़वाली-ससुरदि कू जर्ै बुड़गाड़ि कू वल्द
हिन्दी अनुवाद-ससुराल का दामाद और वरसात का वैल

20. गढ़बाली-कॉधिया जुवा, गी सा खोज
हिन्दी अनुवाद-कंधे पर जुवा गाँव में खोज

21. गढ़वाली-म्यूँ दगणि धुँण मि पिसे गैन
हिन्दी अनुवाद-गेहूँ के साथ धुन भी पीसे गए

22. गढ़वाली-देवी छोटी छल बड़ी
हिन्दी अनुवाद-देवी छोटी असर वड़ा

23. गढ़वाली-अफि औतारि अफि पुजारी
हिन्दी अनुवाद स्वयं अवतारी स्वंय पुजारी

24. गढ़वाली-कवा नी छोड़द वल अपणू लवा
हिन्दी अनुवाद-कौआ अपना रंग नहीं छोड़ता

25. गढ़वाली-मर्द मरि जाला, बोल रै जाला
हिन्दी अनुवाद-याव मिट जाता है, वात रह जाती है

26. गढ़वाली-क्रूको पूँछ योला डाल्यो, वोगों का वागों
हिन्दी अनुवाद-कुत्ते की पूँछ टेढ़ी की टेढ़ी

27. गढ़बाली-जै फु बाबु रिखन खाये, उ काला मुँढरवा देखि डरद
हिन्दी अनुवाद-जिसके पिता को भालू ने खाया वह काली लकड़ी को देखकर भी डरता है।

28. गढ़वाली-अफु कोडि गिज-गिज पाको होरु तै दवे वत्तो
हिन्दी अनुवाद-स्वयं कोढ़ी गल रहा है, परन्तु दूसरों को दवा बताता है.

29, गढ़वाली-हुण तेलि डालि का चलचच पात
हिन्दी अनुवाद-होनहार विरवान के होत चिकने पात

30), गढ़वाली-विरालु क्या जाण, मोल को दई
हिन्दी अनुवाद-विल्ली क्या जाने मोल का दही

31, गढ़वाली-कुँडणि क्या देखणि, देखणि मुँडली
हिन्दी अनुवाद-जन्मपत्री क्या देखनी, मुँह देखो

32. गढ़वाली-पत्थर मा पाणि पड़ी न उ रुकि न छोजो
हिन्दी अनुवाद-पत्थर में पानी पड़े तो न वह रुकता है, न गीला होता है

33. गड़वाली-तू डाँडा त मैं तिरसूल
हिन्दी अनुवाद-तू चोटी तो मैं ऊँचा पहाड़

34. गढ़बाली-दिख्यूं मनखी, तप्यू धाम
हिन्दी अनुवाद-देखा मनुष्य तपा धाम

35. गढ़वाली-दीदी मरी, भेना कैको
हिन्दी अनुवाद-वहन मर गयी तो जीजा किसका

गढ़वाली पहेलियाँ
गढ़वाली भाषा में पहेलियाँ (आणा) बहुतायत में मिलती हैं. श्री रामनरेश त्रिपाठी के मतानुसार पहेलियों का प्रचलन
भारत में वैदिक काल से है. गढ़वाल में भी आणा  परम्परा प्राचीनकाल से चली आ रही है. इन पहेलियों का उद्देश्य बुद्धि परीक्षा मनोरंजन तथा अर्थ गौरव है.

गढ़वाली आणा (पहेलियाँ)
1. रात वचि जाँद, दिन मरि जाँद.
-जानवरों की बाँधने की रस्सी

2. पट्ट पकड़ा चट्ट मारा. 
-खटमल
3. घर औंदु वण मुख, वण जादुँ घर मुख.
कुल्हाड़ी

4. सिल्ल-सिल्लकी पाताल विल्लकी.
वन्दूक

5. हाड़ न मास गलगलू गात. 
जोंक

6. गजभर कपड़ा, वार पाट तौमि, लगेन तीन सौ साठ,
-एक वर्ष
7. छोटी छोयो मिठु कल्यो.
-मधुमक्खी

৪. धार माँ तिल खत्याँ.
-तारे

9. हरी छौं भरी दयौं, मोत्यून जड़ी दौं, पुगड़ा माँ खड़ी घौं.
-मकई का भुट्टा

10. वत्तीस में कुट्टारा अर एक नौनी स्वेरदारी.
-दाँत और जीभ

11. काली खुंडकि धम्कि आग, मरण बचणु अपणु भाग.
बन्दुक 

12. धार मा अधा रोटि.
-चाँद


14. चाँधू बटवा सोनै डोर, चल मेरा बटवा दिल्ली पोर.
सूर्य


13. छोटि धोयों लम्बु धीपेलो.
-सुई-धागा

15. छोटि छोरि वड़बड़ो रुवोदि
-मिर्च

    उत्तराखण्ड में हिन्दी प्रमुख भाषा है, लेकिन इसके अलावा इस प्रदेश में क्षेत्रीय स्तर पर अनेक भाषाएँ बोली
जाती हैं. इसमें कुमाऊँ एवं गढ़वाली प्रमुख हैं. कुमाऊँ तथा गढ़वाली भाषाएँ अन्तरंग शाखा के पहाड़ी समुदाय के मध्य या केन्द्रीय पहाड़ी के अन्तर्गत मानी जाती हैं. यहाँ के लोग कुमाऊँ भाषा सामान्य बोलचाल में बोलते हैं जिस पर सीमावर्ती भाषाओं का प्रभाव पड़ता है. इन भाषाओं में नेपाली, गढ़वाली तथा हिन्दी प्रमुख है तिब्बती तथा गोरखाली का प्रभाव भी पाया जाता है. आज भी कुमाऊँ में पठित समुदाय के वयोवृद्ध लोग अपने बातों में कुमाऊँनी का प्रयोग करते हैं. इस भाषा में कुछ शिलालेख तथा ताम्रपत्र आदि भी उपलब्ध होते हैं, लेकिन हिन्दी भाषी क्षेत्र होने के कारण अध्ययन-अध्यापन और पारस्परिक पत्र व्यवहार तथा लिखित रूप में हिन्दी का प्रचलन होता है. कुमाऊँनी की लगभग 13-14 बोलियाँ मुख्य रूप से प्रचलित हैं. संचार साधनों के कारण हिन्दी ने एकरूपता स्थापित की है. प्रमुख बोलियों का विवरण इस प्रकार है-

कुमाऊँ की भाषा-बोली
1. खसपराजिया-यह 12 मण्डल और दानपुर के आस- पास बोली जाती है.
2. कुमेया-परगना काली कुमाऊँ की यह बोली नैनीताल से लगे हुए, काली कुमाऊँ के भाग में बोली जाती है.
3. सीयाली-  यह परगना सोर में योली जाती है, जिस पर नेपाली भाषा का प्रभाव पाया जाता है इसे दक्षिण जोहार
और पूर्वी गंगोली परगने में भी कुछ लोग योलते हैं.
4. असकोटी- यह परगना अकोट की वोली है. इस पर भी नेपाली भाषा का प्रभाव पाया जाता है,
 5. पछाई -यह वोली अल्मोड़ा जिले के दकषिण भाग में बोली जाती है, जिसका क्षेत्र गढ़वाल सीमा तक है.

6. जोहारी -यह परगना जोहार में वोली जाती है जिस पर तिब्बती भाषा का प्रभाव दिखाई पड़ता है.

7. दानपुरिया -यह परगना दानपुर के उत्तरी भाग में और जौहर के दक्षिण भाग में यह भाषा वोली जाती है.

8. चौगरिर्वया-परगना चौगख्ा में वोली जाने वाली इस बोली में परिनिष्ठित कुमाऊँनी के निकट माना जाता है.

9. नैनीताल की कुमाऊँनी-कुछ लोग इसे रचभंसी भी कहते हैं. यह नैनीताल में 'रौ' और 'चौमैंसी' पट्टियों में बोली
जाती है. वावर में बोली जाने वाली बोली को "नेणतालिया' भी कहा जाता है, यह भीमताल, काठगोदाम, हल्द्वानी आदि क्षेत्रों में प्रचलित है.

10. फलदा कोटिया-परगना फलदाकोट, नैनीताल और अल्मोड़ा के कुछ भागों तथा पाली पछाऊ के कुछ क्षेत्र में
बोली जाती है.

।1. कुमैरयाँ-परगना काली कुमाऊँ की यह वोली नैनीताल से लगे हुए काली कुमाऊँ के भाग में बोली जाती है.

12. गंगोला-यह परगना गंगोली तथा दानपुर की कुछ पट्टियों में बोली जाती है.

13. सोराली-अस्कोट के पश्चिम में परगना सीरा में बोली जाती है.

14. मझकुमैया-कुमाऊँ तथा गढ़वाल के सीमावर्ती क्षेत्र में बोली जाती है. इसे कुमाऊँ गढ़वाली का मिला-जुला रूप
कहा जाता है,

अन्य बोलियाँ
गोरखालो बौलो -    नेपाल से लगे क्षेत्र में तथा अल्मोड़ा आदि स्थानों में प्रवासी गोरखों की बोली है.
भोटिया-    यह बोली कुमाऊँ के उत्तर तथा तिब्बत तथा नेपाल से लगे सीमावर्ती क्षेत्र में बोली जाती है.
भावरी। -  भवर में टनकपुर से काशीपुर तक भावरी बोली जाती है।
ओटयालो-यह नेपाली प्रवासी बोली है.
जीनसारी-यह बोली देहरादून के जौनसार, बाबर तथा गढ़वाल क्षेत्र के ऊँचे स्थानों पर बोली जाती है,
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();