रानीखेत (अल्मोड़ा)
इस पर्वतीय नगरी तक अल्मोड़ा और नैनीताल से भी आसानी से पहुँचा जा सकता है. यहाँ अनेक सुन्दर स्यल चीड़
के वन और फलों के बाग है. चौबटिया जहाँ राज्य सरकार के फलों के बाग हैं, यहाँ से अधिक दूर नहीं हैं. यहाँ का
गोल्फ कोर्स भी प्रसिद्ध है. यहाँ एक रज्जुमार्ग भी है. इस मनोरम स्थल से बहुत समय पहले कुमाऊँ के एक चंद राजा की रानी गुजर रही थी. उन्हें यह स्थान इतना मनोरम लगा कि उन्होंने यहीं पर अपना डेरा डाल दिया, जहाँ
पर आजकल रानीखेत क्लब है. उस समय वह एक खेत था. 'रानीखेत' नाम उसी रानी के खेत के नाम से पड़ा वास्तव में यह नगर हिल स्टेशनों की रानी है. रानीखेत की नैसर्गिक सुन्दरता ि श्व विख्यात है. इस नगर की खोज अंग्रेजों ने ही सर्वप्रथम की थी. सन् 1869 में इस नगर की स्थापना हुई थी. तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मेयो (1869-72) को रानीखेत अत्यधिक प्रिय था. रानीखेत आजकल कुमाऊँ रेजीमेंट का मुख्यालय है. इस नगर की व्यवस्था छावनी बोर्ड के द्वारा होती है. यहाँ बोर्ड की ओर से स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है. रानीखेत समुद्रतल से 6000 फीट की ऊँचाई पर 29-76 वर्ग किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है. रानीखेत और चौबटिया छावनियों के अन्तर्गत 2856 एकड़ भूमि का वन है. इस वन की रक्षा भी सेना विभाग करता है. वहुत से सैलानी इस अंचल में पक्षियों के विविध प्रकार के कलरव व स्वरों का आनन्द लेने आते हैं.
रानीखेत में आज सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं. पर्यटकों के लिए पर्याप्त मनोरंजन के साधन
जुटाए गए हैं. 'रानीखेत' और 'रोटरी' नामक यहाँ दो क्लब हैं. खेत के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था है. कई पिकनिक स्थल हैं, रहने-खाने की सुन्दर व्यवस्था है. ठहरने के लिए वन विभाग का विश्राम गृह, सार्वजनिक निर्णय विभाग का विश्राम गृह, रानीखेत क्लब, कालिका वन विभाग का विश्राम गृह, उपयुक्त स्थान है, इसके अलावा 'कुमाऊँ मण्डल विकास निगम' ने भी पर्यटकों के लिए 52 शैयाओं का एक आराम- दायक आवासगृह बनाया है. रानीखेत के माल रोड पर घूमने वालों का जमघट लगा रहता है, यह सैलानियों के लिए स्वर्ग है. यहाँ पर मन कामेश्वर मन्दिर, हनुमान मन्दिर, झूला देवी मन्दिर और शिवमन्दिर प्रसिद्ध मन्दिर हैं.
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