मुकुन्दराम बड़थ्वाल
महान् संस्कृत कवि एवं ज्योतिषी श्री मुकुन्दराम बड़थ्वालजी का जन्म ग्राम खण्ड, विचला ढाँगू पौड़ी गढ़वाल में 9 नवम्बर, 1887 को संस्कृत ज्योतिष कर्मकाण्ड के प्रकाण्ड विद्वान् पिता श्री रघुवरदत्त जी के घर में हुआ था. प्रारम्भिक शिक्षा गढ़वाल व लाहौर में प्राप्त की. साहित्य साधना ग्राम खण्ड व देवप्रयाग में हुई, एक साधारण परिवार में जन्मे श्री मुकुन्दराम को ज्योतिषशास्त्र में एक लाख से अधिक श्लोक लिखने का गौरव प्राप्त है. उन्होंने 44 महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की जिनमें से केवल 22 ग्रंथों का ही प्रकाशन हुआ है. उत्तर प्रदेश शासन ने इनके कुछ ग्रंथों का प्रकाशन किया तथा आर्थिक सहायता भी मासिक रूप में प्रदान की. भारतीय ज्योतिष अनुसंधान संस्थान ने इन्हें अभिनव बाराहमिहिर की उपाधि से अलंकृत किया.
मुकुन्दराम द्वारा प्रकाशित ग्रंथों में कुछ प्रमुख हैं-
ज्योतिष शब्द कोश, ज्योतिष रत्नाकर, ज्योतिषसार संग्रह, ज्योतिष शास्त्र प्रवेशिका, जातक सार, जातक पारिजातीय संग्रह, जातक सूत्रम, जातक भूषणम, मुकुन्द विनोद सारिणी, मुकुन्द कोष, पचांग मंजूषा, आयुर्दाय संग्रह अष्टवर्ग संग्रह इत्यादि. जीवनपर्यन्त अभावों में रहते हुए कई विद्यार्थयों को शिक्षा दी, लेकिन कभी भी ज्योतिष को व्यवसाय के रूप में नहीं अपनाया. ज्योतिषशास्त्र का यह प्रकाण्ड विद्वान् 30 सितम्बर, 1979 को गंगातट पर बने मुकुन्दाश्रम में ही स्वर्गवासी हुए.
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