उत्तराखण्ड में वास्तुकार, चित्रकार, मूर्तिकार एवं छायाकार

वास्तुकार, चित्रकार, मूर्तिकार एवं छायाकार

अनूप साह
जन्म 6 अगस्त, 1949 नैनीताल में हुआ था. आप स्वतन्त्र छायाकार, पर्वतारोही एवं लेखक हैं. हिमालय का अकेला चितेरा जिसने हिमालय के विभिन्न दृश्यों, पर्वतीय जनजीवन, प्रकृति के रंगों के हजार से अधिक मनमोहक चित्र अपने कैमरे से कैद किए हैं. ये चित्र न केवल राष्ट्रीय स्तर पर वरन् अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं.

अवतार सिंह पंवार
ग्राम धान्यो, पट्टी लस्या टिहरी गढ़वाल में जन्मे श्री पवार अद्भुत कला प्रेमी, मूर्तिकार, प्रकृति प्रेमी पार्वत्य प्रदेश
अनुरागी, महान् कलाकार और मौन साधक हैं. मौलाराम के बाद उत्तराखण्ड के प्रतिभा सम्पन्न कलाकार है।

अर्ल एच. बूस्टर
स्व्गीय अर्ल एच. बूस्टर एक ऐसे सर्वमान्य दार्शनिक चित्रकार थे जिन्होंने हिमालय की आत्मा को पहचान लिया या. आपके बहुमूल्य चित्र आने वाली पीढ़ियों को उत्साहित व प्रेरित करते रहेंगे. वह जीवन प्र्यन्त बौद्ध दर्शन के प्रति निष्ठावान रहे. मृत्यु के अंतिम क्षण तक हिमालय के बदलते हुए परिवेशों, उसके शिखरों के गौरवमय अहं को अपने अंतर में आत्मसात कर लिया था.

आनंद सिंह बिष्ट
ग्राम कोलसी, उदयपुर, गढ़वाल में 1913 में जन्म श्री विष्ट राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त वास्तुशिल्पी, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी एवं समाजसेवी रहे हैं. गढ़वाली संस्कृति के उत्थान के लिए सर्वदा प्रयासरत् रहे. 30 जनवरी, 1948
को गोली से घायल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को काँपते हुए उठाया था. 8 अक्टूबर, 1977 को ओसिन टू स्काई अभियान में एडमण्ड हिलेरी के साथ वरद्रीनाथ से कुछ आगे तक पर्वतश्रेणी अभियान में सम्मिलित रहे.

इफ्तिखार मोहम्मद खाँ
महाकाय दियंगत व्यक्तित्व कुमाऊँ में अपना स्नेह और सेवाएँ बाँटता रहा. कला महाविद्यालय, लखनऊ तथा कुमाऊँ की यह वरद कला प्रतिभा जीवनपर्यन्त अभाव और संघर्ष के अनेक रंग जीते हुए संघर्षरत रहे. दृश्य चित्रण से लेकर कला की अधुनातम शैलियों पर बने उनके चित्र, उनकी अमूर्त विम्ब योजना रंगों का रहस्यमय समिश्रण, रेखाओं की अनगढ़ पुष्टता लोक मानव को सदैव साकार करती रही. हिमालय की माटी का यह पुत्र केवल अपनी स्मृति छोड़ गया है.

गंगा सिंह राणा
बचपन से ही शौकीन रहे श्री गंगा सिंह राणा का जन्म 1892-1969 (मृत्यु) ग्राम पखोलापट्टी अजमेर बल्ला गढ़वाल
में हुआ था. आगे चलकर आप 'वोटेनिकल आर्टिस्ट' के रूप में प्रसिद्धि पाई. भारत के वायसराय लॉर्ड लिनलियगो व उनकी पत्नी ने आपसे कई चित्र बनवाए.

श्रीमती चमेली जुगराण
17 मार्च, 1939 ग्राम गंडासू, गढ़वाल में जन्मी श्रीमती   जुगराण चित्रकारी केक्षेत्र में प्रसिद्धि पाई है. नेशनल गैलरी
ऑफ मॉडर्न आर्ट, काबुल एवं व्यक्तिगत कला संग्रहों में कई कलाचित्र अपनी प्रतिभा की छटा बिखेर रहे हैं. बच्चों के लिए कई लेख प्रकाशित हुए.

श्रीस कपूर
अल्मोड़ावासी श्री कपूर मन और कर्म से विशुद्ध उत्तराखण्डी हैं. अपने कैमरे के साथ आपने सम्पूर्ण कुमाऊँ गढ़वाल की सौन्दर्य स्थालियों की दुर्गम यात्राएँ की हैं. कैलाश  मानसरोवर की अपनी यात्रा के भव्यतम चित्र इनके संग्रह में हैं. इन्हें कई सम्मानित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. उसमें आई.आई.पी.सी. नई दिल्ली से प्राप्त पुरस्कार सर्वोपरि है.

दाऊ कृष्ण बर्मा
कुमाऊँ को समर्पित एक व्यक्तित्व, एक अनूठटी काव्य- कलामय प्रतिभा, व्यवसाय से कृषि रसायनज्ञ होते हुए भी साहित्य की विभिन्न विद्याओं के मर्मज्ञ है. हिन्दी, उदर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओं के लेखक, सम्पूर्ण हृदय से कवि एवं चित्रकार श्री वर्मा की अल्मोड़ा नगर में साहित्य एवं कलामय वातावरण को प्रारम्भ करने का श्रेय प्राप्त है.

द्वारिका प्रसाद धूलिया (प्रो.)
वर्ष 1923 ग्राम मदनपुर, लैन्सडौन, गढ़वाल में जन्मे प्रो. धूलिया राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाविद्, प्रोफेसर एवं लेखक हैं. प्रसिद्ध अजंता की गुफाओं पर आधारित 'चित्रदर्शन' पुस्तक को उ.प्र. शासन द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है.

द्विजेन्द्र सेन
पश्चिमी बंगाल के मूलवासी अब देहरादून में स्थायी प्रवासी श्री सेन दून घाटी के प्रसिद्ध मूर्तिकार और शिक्षाविद्त था ललितकला अकादमी के सदस्य हैं. सर्वे ऑफ इण्डिया में श्री सेन के द्वारा बनाई गई मूर्तियाँ शोभा वढ़ा रही हैं. इनकी कला को अनेक लोगों ने सराहा है जिसमें कन्हैयालाल, मणिकलाल मुंशी प्रमुख हैं. काँसे की मूर्तियाँ बनाने में दक्ष श्री सेन को आल इण्डिया फाइन आर्ट्स एण्ड क्राफ्ट सोसाइटी की तरफ से पुरस्कृत किया जा चुका है, आप 'बसन्तश्री पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं.

दीवान सिंह कुम्मैयां
(1934-1976) रानीखेत अल्मोड़ा. समकालीन भारतीय छायाकारों में विशिष्ट स्थान रखने वाले श्री कुम्मैयां अपने जीवनकाल में एक हजार से अधिक चित्रों का प्रकाशन किया है. अफगानिस्तान में वामियाना परियोजना के प्रथम भारतीय विशेषज्ञ दल में आप सम्मिलित थे. 'इलुस्ट्रेटेड वीकली' के आपने कई पुरस्कार जीते हैं.

बसंत कुमार पंत
पिथौरागढ़ वासी श्री पंत का चित्रकला के क्षेत्र में एक सुपरिचित नाम है. भारत तथा विदेशों में कई एकल प्रदर्शनियाँ तथा महत्वपूर्ण राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्ीय प्रदर्शनियों में प्रमुख 'आर्ट ग्रुप शो' आयोजित किए हैं.

भैरवदत्त जोशी
चित्रकार और कवि श्री भैरवदत्त का जन्म 1918 में रानीखेत में हुआ था. ललित कला अकादमी की अनुशंसा पर भारत के संस्कृति विभाग से 1500 रुपया प्रतिमाह पेंशन पाने वाले कलाकार हैं, ऑल इण्डिया फाइन आर्र्स एण्ड
कफ्ट सोसाइटी से पुरस्कार प्राप्त जोशी जी भारतीय कला जगत् में स्थान रखने के साथ लेखक क्षेत्र में भी सिद्धहस्त हैं,

महेशचन्द्र
ग्राम खाँकरगाँव, वागेश्वर, जिला अल्मोड़ा का वासी बेजोड़ हस्तशिल्पी था. पत्थरों को मूर्तियों का आकार देने वाला यह गुमनाम शिल्पी अब तक मैसूर, गोहाटी, तिरुवनन्तपुरम और गोआ के ऐतिहासिक संग्रहालयों में जीर्णोद्धार का काम कर चुका है. सोप स्टोन, सैण्डलवुड से लेकर कठोर पत्थरों की मूर्तियाँ बनाने से लेकर पेंटिंग और हीरा तराशी में आपको महारय हासिल है. कुछ दिन वैरागी जीवन विताने के कारण आप महेशचन्द्र से महेशानंद नाम से पहचाने जाने लगे हैं.

मित्रानंद मैठाणी
18 अक्टूबर, 1933, ग्राम वैग्याड़ीपट्टी नंदलस्यूँ, में जन्म हुआ था. चित्रकारी के क्षेत्र में अभूतपूर्व गढ़वाल योगदान दिया है. 1952 में पांचाल कला समिति में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया. ललितकला अकादमी सूचना एवं प्रसारण निदेशालय, रेल मंत्रालय भारत सरकार, वार्शिंगटन, न्यूयार्क, मानचेस्टर, जर्मनी, टोकियो ओसाका में कला
गैलरियों में इनके कला चित्र लगे हुए हैं.

मुकुल पंवार
৪ अप्रैल, 1950 ग्राम धान्यों, पट्टी लस्या, टिहरी गढ़वाल में जन्म हुआ. आप मूर्तिकला के माने-जाने सिद्धहस्त व्यक्ति हैं. यू.पी. आर्टिस्ट एसोसिएशन ने 1970 में, आईफेक्स द्वारा 1978 में 1981 और 1990 में नेशनल अवार्ड से सम्मानित किए जा चुके हैं.

रमेश बिष्ट
गढ़वालवासी श्री रमेश विष्ट एक ख्याति प्राप्त मूर्तिकार हैं. 1965-70 के मध्य उ.प्र. ललितकला अकादमी ने सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार घोषित किया है. आपके शिल्प के अनुपम कृतियाँ इलाहाबाद में स्थापित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, भीमराव अम्बेडकर की मूर्तियाँ, मेरठ विश्वविद्यालय में चीधरी चरण सिंह की 10 फीट ऊँची और वीरचन्द सिंह गढ़वाली की मूर्तियाँ स्वयं ही आपकी गाथा गा रही हैं. श्री रमेश विष्ट प्रख्यात कलाकार पदुमश्री स्व. रणवीर सिंह विष्ट के भाई हैं.


रणवीर सिंह बिष्ट (1928-1998)
चित्रकला के क्षेत्र में गौरवशाली नाम करने वाले संवेदन- शील कलाकार श्री विष्ट चित्रों में मुख्यतः पर्वतीय जन जीवन का अंकन किया है. रंगों के मिश्रण में सिद्धहस्त अकेला कलाकार जिसमें कल्पना और यथार्थ का अनुठा संगम है "पदमश्री' से सम्मानित होने वाला उत्तराखण्ड का अकेला चित्र-कार है.

ली. गौतमी
आपकी कुशल प्रतीकात्मक कला शैली बौद्ध दर्शन को चित्रित करती है. ली. गौतमी संसार प्रसिद्ध दर्शन के प्रकाण्ड पण्डित एवं योगी श्री लामा गोविन्दा की पत्नी हैं. अल्मोड़ा के निकट कसार देवी स्थित अपने निवास स्थान पर यह दम्पति साहित्य कला एवं दर्शन को समृद्ध बनाने में कृतसंकल्प हैं.

सुधीर रंजन खास्तगीर
पद्मविभूषण से सम्मानित देहरादून का शिल्पी एवं चित्रकार कोलकाता चला गया. देहारादून प्रवास के दौरान
कला क्षेत्र में हिमालय की अनेक चित्रकारी की.

सुषमा अग्रवाल
लैण्डस्केप (दृश्यांकन) में आज देशभर के कला प्रेमियों में अपनी अलग पहचान बनाने वाली सुपमा ने वृक्ष, झरने,
समुद्र का किनारा, हिमाच्छादित पर्वत शिखर और वर्षा से भीगे वन जैसी अनगिनत को जलीय रंगों के माध्यम से एक अनूटी काव्यात्मक संवेदना प्रदान की है.

हरिराम कोहली
जन्म 13 जून, 1953, अल्मोड़ावासी हरिराम कोहली उतराखण्ड का पहला 'माउथ एण्ड फुट पेटिंग आर्टिस्ट' है. दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित उत्तराखण्ड का अकेला हाथ पैरों से विकलांग चित्रकार है. हायों और पाँवों के अभाव में हरिराम ने मुँह से कूची पकड़कर चित्रकारी आरम्भ की और एक दिन उनकी यह मेहनत रंग लाई. हरिराम के बनाए ग्रीटिंग काईस और तेल चित्रों की देश में ही नहीं वरन्इं गलैण्ड, डेनमार्क, जर्मनी और जापान में भी माँग बढ़ गई. डरिराम धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ी पर चढ़ता गया और एक दिन जर्मनी की 'माउथ एण्ड फुट पेटिंग संस्था का सदस्य वन गया. अपार लोकप्रियता अर्जित करने का हरिराम ने कीर्तिमान स्थापित कर दिया.

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