चीतों ओर कुनु नेशनल पार्क का संबंध | क्या चीते जीवन यापन कर पाएंगे| आइये जानते है | Relationship of Cheetahs and Kunu National Park. Will cheetahs be able to survive? Let's know

  

अंतरमहाद्वीपीय स्थानान्तरण परियोजना के तहत नामीबिया से भारत लाये गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में 17 सितंबर को छोड़ा गया।

चीता


आइये जानते है चीतों के बारे में।

1. दुनिया में चीतों की दो प्रजातियां एशियाई चीते और अफ्रीकी चीते हैं। वर्तमान में एशियाई चीते ईरान में जबकि अफ्रीकी चीते अफ्रीका के कई देशों में पाए जाते हैं।

2. बिल्ली के कुल में आने वाला चीता (Acinonyx Jubatus) अपनी अदभुत फूर्ती और रफ्तार के लिए पहचाना जाता है। यह acinonyx प्रजाति के अंतर्गत रहने वाला एकमात्र जीवित सदस्य है, जो कि अपने पंजों की बनावट के रूपांतरण के कारण पहचाने जाते हैं। इसी कारण, यह इकलौता विडाल वंशी है जिसके पंजे बंद नहीं होते हैं और जिसकी वजह से इसकी पकड़ कमज़ोर रहती है (अतः वृक्षों में नहीं चढ़ सकता है हालांकि अपनी फुर्ती के कारण नीची टहनियों में चला जाता है)।

 3. ज़मीन पर रहने वाला ये सबसे तेज़ जानवर है जो एक छोटी सी छलांग में 120 कि॰मी॰ प्रति घंटे तक की गति प्राप्त कर लेता है और 460 मी. तक की दूरी तय कर सकता है और मात्र तीन सेकेंड के अंदर ये अपनी रफ्तार में 103 कि॰मी॰ प्रति घंटे का इज़ाफ़ा कर लेता है, जो अधिकांश सुपरकार की रफ्तार से भी तेज़ है। 

4. हालिया अध्ययन से ये साबित हो चुका है कि धरती पर रहने वाला चीता सबसे तेज़ जानवर है।

5. इस प्रजाति को IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) की श्रेणी में रखा गया है।

किन वजह से इन 8 चीतों को मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में ही रखने का फैसला लिया गया, ये है वो वजह



A . चीतों को थोड़ी ऊंची घास वाले मैदानी इलाकों में रहना पसंद है. ये घने जंगलों में नहीं रहते. वजह अगर ये तेजी से दौड़ेंगे नहीं तो शिकार नहीं कर पाएंगे. तेजी से दौड़ने के लिए खुले मैदानों की जरूरत होती है. न कि घने जंगलों की. 


B. मौसम में ज्यादा उमस न हो. थोड़ा सूखा रहे. इंसानों की पहुंच कम हो. तापमान बहुत ठंडा न हो. बारिश ज्यादा न हो. कूनो नेशनल पार्क 3200 वर्ग किलोमीटर में फैला है. लेकिन चीतों के हिसाब से उपयुक्त इलाका 748 वर्ग किलोमीटर है. यहां इंसान नहीं आते-जाते. न ही रहते हैं. 



C. नेशनल पार्क का बफर जोन 1235 वर्ग किलोमीटर है. पार्क के बीच में कूनो नदी (Kuno River) बहती है. कम ढाल वाली पहाड़ियां हैं. दक्षिण-पूर्वी इलाके में पन्ना टाइगर रिजर्व और शिवपुरी के जंगल हैं. इस इलाके के पास ही चंबल नदी (Chambal River) बहती है. यानी चीतों के पास कुल मिलाकर 6800 वर्ग किलोमीटर का इलाका रहेगा. 

D. नेशनल पार्क का अधिकतम औसत तापमान 42.3 डिग्री सेल्सियस रहता है. सबसे कम तापमान 6 से 7 डिग्री सेल्सियस रहता है. इलाके में सालभर में 760 मिलिमीटर बारिश होती है. 


E. कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में चीतों के लिए बहुत कुछ है. जैसे- चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर, चिंकारा, चौसिंघा, ब्लैक बक, ग्रे लंगूर, लाल मुंह वाले बंदर, शाही, भालू, सियार, लकड़बग्घे, ग्रे भेड़िये, गोल्डेन सियार, बिल्लियां, मंगूज जैसे कई जीव जिससे वे अपना पेट भर सकते है।


F. चीता जमीन पर हो या पहाड़ी पर. घास हो या पेड़, उसे खाने की कमी नहीं होगी. यहां सबसे ज्यादा चीतल मिलते हैं. यानी चीतों के लिए पर्याप्त शिकार की व्यवस्था है. 

G. कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park)  में पहले करीब 24 गांव थे. जिन्हें दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया. गांववाले मवेशियों के साथ दूसरे स्थानों पर चले गए. यानी पार्क के 748 वर्ग किलोमीटर को चीतों के लिए पूरी तरह संरक्षित कर दिया गया. ये काम 1998 में ही कर दिया गया था. जाते-जाते ग्रामीणों ने अपनी बिल्लियां और कुत्तों को भी जंगल में ही छोड़ा था. करीब 500 के आसपास. इनके वंशज भी चीतों का शिकार बनेंगे. 

H. किसी भी नेशनल पार्क या अभयारण्य में किसी शिकारी जीव को तब ही लाते हैं, जब उसके लिए खाने की पर्याप्त जीव हों. यानी शिकारी की संख्या के अनुपात में शिकार का होना जरूरी है. चीते उन जीवों का शिकार करते हैं जो औसतन 60 किलोग्राम या उससे कम वजन के होते हैं. 

I. पेड़ों पर मौजूद बंदरों और लंगूरों की बात करें तो 10 फीसदी बंदर चीते के शिकार हो सकते हैं. नीलगाय या सांभर की बात करें तो इनकी आबादी 30 फीसदी हिस्सा चीतों के शिकार बन सकता है. यानी खाने के लिए चीतल की आबादी पर्याप्त है. 

J. चीतों को शुरुआत में 6 वर्ग किलोमीटर के फेंसिंग वाले बाड़े में रखा जाएगा. ताकि सारे चीते एकदूसरे से संपर्क साध सकें. एकदूसरे को समझ सकें. चीते सामाजिक प्राणी होते हैं. ये समूह में रहते हैं. इसलिए जब ये तीन नर चीते और 5 मादा चीते एकदूसरे से संपर्क और संबंध बना लेंगे तब इन्हें बाड़ों से मुक्त किया जाएगा. 


K. भारत की सरकार ने वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट बनाया. जिसे 1972 में लागू किया गया. यानी देश में कहीं भी जंगली जीव का शिकार प्रतिबंधित है. जब तक इन्हें मारने की कोई वैज्ञानिक वजह न हो. या फिर वो खतरा न बने.

L. जब भी किसी जानवर को एक देश से दूसरे देश में शिप्ट किया जाता है. तब कई बातें देखी जाती हैं. जैसे- जेनेटिक्स कैसा है. व्यवहार कैसा है. उम्र सही है या नहीं. लिंग का संतुलन कैसा है. साथ ही जानवर एक देश से दूसरे देश जाकर वहां के वातावरण, रहने लायक जगह की स्थिति, शिकार के प्रकार आदि से एडजस्ट कर पाएगा या नहीं. 







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