Total Count

Subscribe Us

तीज का त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है ?

 



          "तीज" एक हिंदू माहिला त्योहार है जो भारत में मनाया जाता है, विशेष रूप से उत्तर भारत में। यह त्योहार तीन विभिन्न अवसरों पर मनाया जाता है - हरितालिका तीज, कजरी तीज और हरयाली तीज। इन तीनों त्योहारों का मुख्य आदर्श भगवान शिव और पार्वती के विवाह कथा से संबंधित है।
 
1. हरितालिका तीज: यह त्योहार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माता पार्वती ने अपनी सहधर्मिनी मित्र "हरितालिका" की मदद से भगवान शिव की पत्नी बनने के लिए व्रत रखा था। यह व्रत सिर्फ युवतियों द्वारा अवलंबित किया जाता है और वे भगवान शिव और पार्वती की तरह पतिव्रता धर्म का पालन करती हैं।
 
2. कजरी तीज: यह त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शिव और पार्वती की आराधना करती हैं और अपने पतियों की लंबी आयु और सुख-शांति की कामना करती हैं।
 
3. हरयाली तीज: यह त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से सहभागिनी स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है जो अपने पतियों की दीर्घायु और खुशी की कामना करती हैं। वे व्रत रखकर पूजा-अर्चना करती हैं और अपने पतियों के लिए बंदी छुड़ाने की कामना करती हैं।
 
यह तीनों त्योहार महिलाओं के शक्ति, पतिव्रता धर्म, परिवार और पति के प्रति प्रेम की महत्वपूर्ण भावनाओं को महसूस कराने के लिए मनाए जाते हैं।
 
तीज त्योहार को विभिन्न प्रकार से मनाया जा सकता है, लेकिन यह तरीके अलग-अलग संस्कृतियों और क्षेत्रों में भिन्न हो सकते हैं। निम्नलिखित कुछ कदमों के माध्यम से आप तीज त्योहार को मना सकते हैं:
 
1. व्रत और उपवास: तीज के दिन व्रत रखने और उपवास करने का परंपरागत तरीका है। तीज के दिन महिलाएं अन्न और पानी की बिना अपने पतियों की दीर्घायु की कामना करती हैं। व्रत रखते समय आपको खान-पान में विशेष परहेज करना चाहिए और उपवास के नियमों का पालन करना चाहिए।
 
2. पूजा-अर्चना: तीज के दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा करना महत्वपूर्ण होता है। आप उनके प्रतिमा या फोटो की पूजा कर सकते हैं, उन्हें फूल, धूप, दीपक और नैवेद्य से अर्चित कर सकते हैं।
 
3. तीज के गीत और नृत्य: तीज के दिन महिलाएं और लड़कियाँ विशेष तीज के गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। यह एक मनोरंजनात्मक और सांस्कृतिक तरीका होता है तीज को मनाने का।
 
4. परिधान और सजावट: तीज के दिन महिलाएं विशेष तरीके से सज सकती हैं। वे सुंदर साड़ियाँ, बिचुए, मेहंदी, और श्रृंगार का अच्छा अंग बना सकती हैं।
 
5. सामाजिक आयोजन: तीज के दिन स्थानीय समुदायों में सामाजिक आयोजन भी किए जाते हैं। महिलाएं मिलकर खान-पान करती हैं, तीज के गीत गाती हैं, नाचती हैं और एक आपसी मेल-जोल वाला समय बिताती हैं।
 
याद रखें कि तीज का त्योहार विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है, और आपके परिवार और संस्कृति के अनुसार त्योहार को मनाने का तरीका भी विभिन्न हो सकता है।
 
एक प्रसिद्ध तीज त्योहार की कहानी निम्नलिखित है:
 
कठिनाईयों के बावजूद पतिव्रता की कहानी:
 
कई साल पहले की बात है, एक छोटे से गांव में एक साधू बाबा रहते थे। उनके आश्रम में धार्मिक शिक्षा और सद्गुणों की बातें दी जाती थी। वहाँ के गांव की एक युवती, राधा, बाबा की शिष्या बनी थी।
 
राधा बहुत ही सुन्दर और गुणवत्ता से भरपूर थी, और वह अपने पति के प्रति अत्यधिक प्रेम करती थी। पति की किस्मत में एक दिन उसका बड़ा सुखाता था, लेकिन उनके जीवन में कई प्रकार की समस्याएं आईं। उनके पति के साथी और सास-ससुर उनसे अपने कई काम करवाते थे, जिनसे वह बहुत ही परेशान थी।
 
एक बार तीज के त्योहार के दिन, राधा अपने गांव में भगवान शिव और पार्वती की पूजा करने का निश्चय किया। वह पूरे मन और श्रद्धापूर्वक पूजा की तैयारियाँ करने लगी, लेकिन उसके पति और सास-ससुर उसे पूजा करने की इजाजत नहीं देने का निर्णय लिया।
 
राधा के दिल में व्रत की आस्था और पतिव्रता धर्म की शक्ति थी। वह तीज के दिन अपने पति के बिना बिना खाने-पीने के उपवास में बैठी और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने लगी।
 
पूजा के दौरान, वर्षा की बूंदों के साथ बड़ी आवाज़ आई और एक ताजगी लहर उनकी पास आई। भगवान शिव और पार्वती ने एक मदिरा कलश की रूप में प्रकट होकर राधा को आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि तुम्हारी पतिव्रता भावना और तपस्या का फल मिलेगा, और तुम्हारे पति को भी तुम्हारी सेवा करने की शक्ति मिलेगी।
 
राधा की निष्ठा, त्याग और पतिव्रता भावना ने भगवान को प्रसन्न किया और उनके जीवन में खुशियाँ आईं। उसके पति और सास-ससुर ने उसकी महत्वपूर्णता को समझा और उसके साथी के रूप में व्यवहार करने लगे।
 

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि पतिव्रता भावना, समर्पण, और आदर्शों के प्रति पालन कितना महत्वपूर्ण होता है।