क्रान्तिवीर कालू मेहरा ( 1831 1906)
क्रांतिवीर कालू मेहरा ने उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आन्दोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया और उत्तराखंड की जनता के हकों की रक्षा की। कालू मेहरा ने उत्तराखंड की आदिवासी जनजातियों के लिए समर्थन जुटाया और उनके अधिकारों की मांग की। उनका योगदान उत्तराखंड के सांस्कृतिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण रहा है।
कालू मेहरा का जन्म ठाकुर रतिभान सिंह के यहाँ 1831 ई. में हुआ था. चन्द राजाओं द्वारा नरसंहार के पश्चात् कुटीलगढ़ (यही एक गाँव में जहाँ मेहरा का जन्म हुआ) के निवासियों ने अपना परम्परागत व्यवसाय छोड़कर व्यापार को आजीविका वना लिया. ठाकुर रतिभान सिंह का तिब्वत के साथ अच्छा व्यापार था. कालू मेहरा वचपन से अक्खड़ व दबंग थे. घुड़सवारी उनका प्रिय शौक था. स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया. वद्रीदत्त पाण्डेय ने इन्हें 52 जिलों में घुमाकर सजा देने की वात कही है.
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